नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारी सड़कों को ब्लॉक करके लोगों के लिए असुविधा तम न्यायालय ने शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर केंद्र, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किए हैं। मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी की होगा। न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा,%एक कानून है और लोगों की उसके खिलाफ शिकायत है। मामला अदालत में लंबित है। इसके बावजूद कुछ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन आप सड़कों को अवरूद्ध नहीं कर सकते। ऐसे क्षेत्र में अनिश्चित समय तक प्रदर्शन नहीं हो सकते। अगर आप प्रदर्शन करना चाहते हैं तो यह प्रदर्शन के लिए निर्धारित स्थान पर होना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि शाहीन बाग में लंबे समय से प्रदर्शन चल रहा है लेकिन यह दूसरे के लिए असुविधा नहीं पैदा कर सकता। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि वह दूसरे पक्ष को सुने बगैर कोई निर्देश जारी नहीं करेगी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 फरवरी के मुकर्रर की है। दरअसल, नागरिक संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग में हजारों लोग दिसंबर 2019 से सड़क संख्?या 13 ए (मथुरा रोड से कालिंदी कुंज) पर बैठे हुए हैं। यह मुख्य सड़क दिल्ली को नोएडा, फरीदाबाद से जोड़ती है और रोजाना लाखों लोग आवाजाही में इस सड़क का इस्तेमाल करते हैं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में बीते 13 जनवरी को जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की गई थी कि शाहीन बाग में सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाया जाए क्योंकि इससे आम लोगों को बहुत दिक्क तों का सामना करना पड़ रहा है। इससे न केवल लोग कई कई घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं बल्कि ईंधन की बर्बादी और प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है। उनकी इस याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था वह व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए और कानून व्यवस्था को भी कायम रखते हुए उपर्युक्त कार्यवाही करे। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि कानून व्यवस्था कायम करना पुलिस का क्षेत्राधिकार है और कानून व्यवस्था कायम रखते हुए वह इस संबंध में कदम उठाएइसके बाद दिल्ली वाट निली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से सड़क से हटने की अपील की थी, लेकिन वह नहीं माने और लगातार डटे हुए हैं। इसके बाद वकील अमित साहनी ने शीर्ष अदालत का रुख करते हुए एक स्पेशल लीव पिटीशन दायर की थी। इस याचिका में मुख्य रूप से कहा गया है कि किसी भी नागरिक का प्रदर्शन करना उसका मौलिक अधिकार है और लोकतांत्रिक व्यवस्था में इसकी मनाही नहीं की जा सकती, लेकिन प्रदर्शनकारियों को यह अधिकार बिल्कुल नहीं है कि वो अपने मन मुताबिक जगह पर प्रदर्शन करें, जिससे लाखों लोगों का जनजीवन प्रभावित हो। ऐसे किसी प्रदर्शन से आम लोगों का सड़क मार्ग से गुजरने का अधिकार प्रभावित नहीं किया जा सकता और ऐसे किसी भी प्रदर्शन को अनिश्चितकाल तक जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा अनमति नहीं दी जा सकती
रोड ब्लॉक नहीं कर सकते प्रदर्शनकारी: सुप्रीम कोर्ट