नई दिल्ली। सबरीमाला सहित धार्मिक परंपरा और महिला अधिकार मामले में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने आदेश या निट 17ती से टस सासले की रोज सनवाई करेगी सप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पुनर्विचार याचिका सुनते समय कोई बेंच मामला बड़ी बेंच को भेज सकती है. कुछ वकीलों ने सबरीमाला पुनर्विचार के दौरान दूसरे धर्म से जु? संवैधानिक सवाल को बड़ी बेंच को भेजने पर एतराज जताया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. अब इस मामले में 17 फरवरी से सोमवार से शुक्रवार हर रोज सुनवाई होगी. कोर्ट इस पर भी विचार करेगा कि क्या किसी एक धर्म का शख्स दूसरे धर्म से जु? मसलों पर सवाल उठा सकता है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 9 न्यायाधीशों की पीठ केरल के सबरीमला मंदिर समेत धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए बैठी है. चीफ जस्टिस एस ए बोब? ने साफ किया कि नौ जजों की संविधान पीठ सबरीमला मन्दिर में सभी उम्र की महिलाओं की एंट्री के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार अर्जियों पर सुनवाई नहीं कर रही है, बल्कि बेंच पूजा और धार्मिक अधिकार से जुड़े उन सवालों पर विचार कर रही है, जो पांच जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से विचार के लिए उसके पास भेजे थे.बता दें कि केरल सरकार ने कहा था कि जो महिलाएं मंदिर में प्रवेश करना चाहती है उन्हें अदालती आदेश' लेकर आना होगा. शीर्ष अदालत ने इस धार्मिक मामले को बड़ी पीठ में भेजने का निर्णय किया था. शीर्ष अदालत ने पहले पिछले साल रजस्वला उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनमति दी थी. 17 नवंबर से शुरू होने वाले दो महीने की लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा सत्र के लिए आज मंदिर खल रहा है औलोलो केरल के देवस्वओम मंत्री के सुरेंद्रन ने शुक्रवार को कहा था कि सबरीमला आंदोलन करने का स्थान नहीं है और राज्य की एलटीएफ सरकार उन लोगों का समर्थन नहीं करेगी जिन लोगों ने प्रचार पाने के लिए मंदिर में प्रवेश करने का ऐलान किया है.हालांकि, इस साल रचतम न्यायालय ने 10 से 50 आय व साल उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर कि नहा लगाइ. लेकिन इस फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सात इस विषय पर सावधानी बरत रही है. देवस्वाओम मंत्री कडकम्पल्ली सरेंदन ने स्पष्ट कर दिया है कि सबरीमला कार्यकर्ताओं के अपनी सक्रियता दिखाने का स्थान नहीं है और प्रचार पाने के लिए मंदिर आने वाली महिलाओं को सरकार प्रोत्साहित नहीं करेगी. वहीं, 10 10 से 50 आयुवर्ग की जो महिला सबरीमला मंदिर में दर्शन शाला करना चाहती हैं, वे अदालत का आदेश लेकर आएं.
धार्मिक परम्परा बनाम महिला अधिकार मामला. 17 फरवरी से सुप्रीम कोर्ट में रोज सुनवाई