मेरे प्रेरणा स्रोत हैं मेजर एस.पी.सिंह - विशाल कश्यप

 बहराइच। लगभग 11 साल पहले 2009 में मेरी पहली मुलाकात हई थी मेजर डा.एस.पी.सिंह से। उस समय मैं नहीं जानता था कि शालसेवासस्थान उप सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता परस्कार वितरण समारोह 18 दिन रविवार TE जिस विभति के सामने मैं खडा हुँ वह मेरे जीवन को सँवारने में एक बड़ी भूमिका निभाने वाला है। मुझे जैसे सामान्य इंसान को जिले और प्रदेश में पहचान दिलाने में आधार स्तंभ रहे हैं मेजर साहब। आज किसान पी.जी.कालेज,बहराइच की प्रबंध समिति के प्रबंधक के रूप में वे परे देवीपाटन मंडल में शिक्षा की प्राण वायु के रूप में सक्रिय हैं। मेरा मानना है कि एक कुशल शिल्पी की भाँति वे इस कालेज को असीम ऊँचाई तक ले जाने के लिए ETI तत्पर हैं और एक दिन यह कालेज तराई का आम्सफोर्ट बनेगा। ये विचार हैं विशाल सेवा संस्थान,उ.प्र.के प्रदेश सचिव विशाल - कश्यप के। जिन्होंने शिक्षा व समाज सेवा के क्षेत्र में प्रदेश में एक ऊँचा मुकाम हासिल किया है। वे अपनी सफलता के पीछे किसान पी.जी.कालेज.बहराइच के प्रबंधक मेजर डा.एस.पी सिंह के मार्गदर्शन और प्रोत्साहन को श्रेय देते हैं। पैर से अशक्तता के बावजूद लगातार सक्रिय रहते हुए जिले के विकास के मिशन में वे जुटे हुए हैं। विशाल बताते हैं कि कई सालों से जिले के प्रतिभावान विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु हर साल एक जिला स्तरीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित करते हैं। पहली सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह को याद करके उनकी आँखें डबडबा जाती हैं। उनका कहना है कि मुझे आज भी भली भाँति याद है जब उस आयोजन में टाइफाइड से पीड़ित होने और 104 डिग्री बुखार होने के बावजूद किस प्रकार गेंदघर मैदान में मेजर साहब आये थे और परे कार्यक्रम के बाद वापस गये। शिक्षा के प्रति उनके इस समर्पण को मैं सैल्यट करता हूँ। उनसे जब भी मिलता हुँ कछ नया करने का जज्बा पैदा होता है। हमेशा सकारात्मक सोच के साथ वे नये भारत के निर्माण में सभी को जुटने की प्रेरणा उनसे मिलती रही है। विशाल जिले विकास से संबंध रखने वाली हर महिम का हिस्सा हैंबहराइच से जरवलरोड तक रेलमार्ग से जोडने के अभियान में वे लंबे समय से सक्रिय हैं और बहराइच से लखनऊ व दिल्ली तक सड़क पर उतरकर आन्दोलन कर चुके हैं।